वर्षा गीत (कविता का अंश)
इस गगन में मुक्त स्वर से
रूदन कर मिटते हुये
खोजते प्रति शैल में प्रिय
चंचला दीपक लिये
तुम नहीं जलधर अकेले।
(वर्षा गीत कविता का अंश)
वर्षा गीत (कविता का अंश)
इस गगन में मुक्त स्वर से
रूदन कर मिटते हुये
खोजते प्रति शैल में प्रिय
चंचला दीपक लिये
तुम नहीं जलधर अकेले।
(वर्षा गीत कविता का अंश)