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वर्षा बहन / पद्मजा बाजपेयी

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वर्षा बहना। वर्षा बहना। बहुत दिनो के बाद पधारीं।
पाती लिख-लिखकर हारा, रोज देखता राह तुम्हारी,
जब तुम आती, सब खुश होते, बालक, बूढ़े नानी-काकी,
भूल गई सब बात हमारी, बहुत दिनो के बाद पधारीं।
पनघट सुना, नदियाँ सुखी अंबर सुना, गलियाँ सुनी
तुम बिना सुना खेत-अटारी, घर-घर खुशियाँ मनीं तुम्हारी,
बहुत दिनों के बाद पधारीं,

अब कुछ दिन तुम रहना बहना, राखी-रोचन वहीं पर करना
पेंग बढ़ाकर झूला झूले, आया सावन कभी न भूले,
विनती सुन लो एक हमारी, बहुत दिनो के बाद पधारीं।
भाई के घर जल्दी आना, उसे न अपनी राह दिखाना,
जीवन देती, दुख हर लेती, लगती हो तुम प्यारी-प्यारी,
बहुत दिनों के बाद पधारीं।