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वर्ष का अन्तिम दिवस / स्वदेश भारती

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वर्ष का अन्तिम दिवस
कुछ इस तरह पैग़ाम लाया
दर्दमय था दौर सुख का
प्राण-दंशित और घातक
आत्म-पीड़क- दण्ड दुख का
वही सब प्रारब्ध में था
उसी में यह वर्ष बीता

प्राण-अन्तरद्वन्द में
चेतना के छन्द में
कामना के भग्न तारों पर
ध्वनित अनुराग
अन्तर-राग में
निस्सार बन यह वर्ष बीता

जो नियति में नियत था
बस वही पाया, उसे ही मन में सँजोया
जो नहीं था, उसे खोया
वर्ष का अन्तिम दिवस
कुछ इस तरह पैग़ाम लाया
सार्थक है वही जो जितना जिया
साल का अन्तिम दिवस
बस, अलविदा कह चल दिया
                                  
कोलकाता, 31 दिसम्बर 2013