वर्ष जो लड़खड़ा और मेरे पीछे चक्कर खा रहा था / वाल्ट ह्विटमैन / दिनेश्वर प्रसाद
वर्ष जो लड़खड़ा और मेरे पीछे चक्कर खा रहा था !
तुम्हारा ग्रीष्म पवन अच्छी तरह तप्त था, लेकिन मैं जिस हवा में
साँस ले रहा था, वह मुझे ठण्ड से जमा रही थी
एक गहरी उदासी सूर्य के प्रकाश को बेकार कर रही थी
और उसने मुझे अवसाद से भर दिया था ।
क्या मैं अपने विजयी गीत बदल दूँ ? मैंने अपने आप से कहा,
क्या मैं सचमुच असफल लोगों के निराश शोकगीत
और पराजय के विषण्ण स्त्रोत गाना सीखूँ ?
1867
(मूलतः 1863-1864 ई. में गृहयुद्ध के दिनों में लिखित)
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : दिनेश्वर प्रसाद
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Walt Whitman
Year That Trembled Beneath Me
YEAR that trembled and reel’d beneath me!
Your summer wind was warm enough—yet the air I breathed froze me;
A thick gloom fell through the sunshine and darken’d me;
Must I change my triumphant songs? said I to myself;
Must I indeed learn to chant the cold dirges of the baffled?
And sullen hymns of defeat?
1867