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यत्र स्त्रीणां प्रियतमभुजालिङ्गनोच्छ्वासिताना-
मङ्गग्लानि सुरतजनितां तन्तुजालावलम्बा:।
त्वत्संरोधापगमविशपैश्चन्द्रपादैनिशीथे
व्यालुम्पन्ति स्फुटजललवस्यन्दिनश्चन्द्रकान्ता:।।
वहाँ अलका में आधी रात के समय जब
तुम बीच में नहीं होते तब चन्द्रमा की
निर्मल किरणें झालरों में लटकी हुई चन्द्रकान्त
मणियों पर पड़ती हैं, जिससे वे भी जल-
बिन्दुओं की फुहार चुआने लगती हैं और
प्रियतमों के गाढ़ भुजालिंगन से शिथिल हुई
कामिनियों के अंगों की रतिजनित थकान
को मिटाती हैं।