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वहाँ उज्जयिनी में रात के समय प्रियतम / कालिदास
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गच्छन्तीनां रमणवसतिं योषितां तत्र नक्तं
रुद्धालोके नरपतिपथे सूचिभेद्यैस्तमोभि:।
सौदामन्या कनकनिकषस्निग्धया दर्शयोर्वी
तोयोत्सर्गस्तनितमुखरो मा स्म भूर्विक्लवास्ता:।।
वहाँ उज्जयिनी में रात के समय प्रियतम के
भवनों को जाती हुई अभिसारिकाओं को
जब घुप्प अँधेरे के कारण राज-मार्ग पर
कुछ न सूझता हो, तब कसौटी पर कसी
कंचन-रेखा की तरह चमकती हुई बिजली
से तुम उनके मार्ग में उजाला कर देना।
वृष्टि और गर्जन करते हुए, घेरना मत,
क्योंकि वे बेचारी डरपोक होती हैं।