भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वहाँ उज्‍जयिनी में रात के समय प्रियतम / कालिदास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: कालिदास  » संग्रह: मेघदूत
»  वहाँ उज्‍जयिनी में रात के समय प्रियतम

गच्‍छन्‍तीनां रमणवसतिं योषितां तत्र नक्‍तं
     रुद्धालोके नरपतिपथे सूचिभेद्यैस्‍तमोभि:।
सौदामन्‍या कनकनिकषस्निग्‍धया दर्शयोर्वी
     तोयोत्‍सर्गस्‍तनितमुखरो मा स्‍म भूर्विक्‍लवास्‍ता:।।

वहाँ उज्‍जयिनी में रात के समय प्रियतम के
भवनों को जाती हुई अभिसारिकाओं को
जब घुप्‍प अँधेरे के कारण राज-मार्ग पर
कुछ न सूझता हो, तब कसौटी पर कसी
कंचन-रेखा की तरह चमकती हुई बिजली
से तुम उनके मार्ग में उजाला कर देना।
वृष्टि और गर्जन करते हुए, घेरना मत,
क्‍योंकि वे बेचारी डरपोक होती हैं।