वही जुनूँ है वही क़ूच-ए-मलामत है / फ़राज़
वही जुनूँ<ref>उन्माद </ref>है वही क़ूच-ए-मलामत <ref>निंदा वाली गली</ref>है
शिकस्ते-दिल<ref> दिल के टूटने </ref>प’ भी अहदे-वफ़ा <ref>वफ़ादारी का प्रण </ref>सलामत<ref> सुरक्षित</ref>है
ये हम जो बाग़ो-बहाराँ<ref>वाटिका और वसंत </ref>का ज़िक्र<ref> चर्चा</ref>करते हैं
तो मुद्दआ<ref> उद्देश्य</ref>वो गुले-तर<ref>ताज़ा फूल </ref>वो सर्वो-क़ामत<ref>सर्व वय्क्ष जैसे सुंदर डील-डौल वाला </ref>है
बजा ये फ़ुर्सते-हस्ती<ref> जीवनकाल</ref>मगर दिले-नादाँ<ref> नादान दिल</ref>
न याद कर के उसे भूलना क़यामत<ref> महाप्रलय</ref>है
चली चले यूँ ही रस्मे-वफ़ा<ref> वफ़ादारी की परंपरा</ref>-ओ-मश्क़े-सितम<ref> अत्याचार का अभ्यास </ref>
कि तेगे़ -यारो-सरे-दोस्ताँ<ref>मित्रों और प्रियजनों की तलवार </ref>सलामत है
सुकूते-बहर<ref> महासागर का मौन</ref>से साहिल <ref> तट</ref>लरज़<ref>काँप </ref>रहा है मगर
ये ख़ामुशी किसी तूफ़ान की अलामत <ref>लक्षण </ref>है
अजीब वज़्अ<ref>शैली </ref>का ‘अहमद फ़राज़’ है शाइर
कि दिल दरीदा<ref>दु:खी हृदय </ref>मगर पैरहन<ref>वस्त्र </ref>सलामत है