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वही ढंग, वही हिसाब चालू है / सांवर दइया

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वही ढंग, वही हिसाब चालू है।
किसने कहा मिटा, आज चालू है।

हक़ीम के हाथों खिलौना सांसे,
मर्ज़ पता नहीं, इलाज चालू है।

मंच पर घोषित हुआ प्रगतिशील,
घर में पुराने रिवाज़ चालू है!

सही शब्द तो वहीं कहीं खो गए,
बस, अर्थहीन आवाज़ चालू है!

निष्पक्षता के हामी रहे इतने,
मौक़ा मिले तो लिहाज चालू है!