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वही राग है जीवन का / वत्सला पाण्डे
Kavita Kosh से
कुछ घोंघे
कुछ शंख छोटे छोटे
नन्हीं सीपियां भी
ढूंढ ली थी
रह गए थे खोल
इनमें था
कभी जीवन
आज मृत्यु का
आलाप है
फिर भी हैं
रंग धुले धुले
जीवन भरे हुए
उसमें होने की ध्वनि का
अर्थ ही
बना जीवन राग है