भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वह. / अवतार एनगिल
Kavita Kosh से
वह
जो बार-बार आता है
बतियाता है
बिना शब्दों के
वह
जो बार-बार
मथता है
हथेलियों और तलवों को
बीचों-बीच
डिवाइडर की नोक से
वह
जो बार-बार आता है
और धंसता चला जाता है
बीच माथे में
डायनामाईटी बर्मे-सा
मेरा प्रिय सखा है वह
बार-बार आता है जो
हार-हार जाता है जो
मैं उसे क्या कहूँ।