भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वह क्या करे / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अब कोई जबर्दस्ती है-
प्यार करता हूँ गर
तुमको
कविताएँ लिखूँ ही तुम पर!
अच्छा, बाबा
यह लिखता हूँ, लो
अब वह क्या करे भला
कविता जो लिख नहीं सकता
प्यार करता है पर
भरपूर।