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वह भव्य इमारत / आन्ना अख़्मातवा / राजा खुगशाल
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मेरा कहना है
मेरी ख़ास रुचि नहीं है
इस पुरानी भव्य इमारत<ref>साँक्त पितिरबूर्ग में फ़ोन्तियन नदी के किनारे बना फ़ोन्तियन हाउस, जिसमें अख़्मातवा 1919 से 1952 तक रहीं</ref> में
यद्यपि
इसी में बीता है
मेरा अधिकांश जीवन
फ़ोन्तियन हाउस की
प्रसिद्ध छत के नीचे
रही हूँ मैं
मैं तब भी निस्पृह थी
जब पहले-पहल
प्रवेश किया था मैंने इसमें
और वैसी ही हूँ
इसे छोड़ते हुए भी ।
1952
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजा खुगशाल
शब्दार्थ
<references/>