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वह मित्र / भारत यायावर
Kavita Kosh से
वह रोते हुए लोगों को हँसा देता है
वह मासूम सा हरपल ही दिखा करता है
कोई नश्तर की तरह जख़्म से भर देता है
वह मरहम सा हर घाव सुखा देता है
कोई अकड़ता है और उबलता है
वह पर्वत को भी चुपचाप झुका देता है
कोई दरिया की तरह तेज़ बहा करता है
वह जूझते नाविक को दुआ देता है
वह दिल से लगाता है मेरी यादों को
कोई मिलता है बहुत बार,भुला देता है
कोई सुलाने की कोशिश में लगा रहता है
वह हर बार मिलते ही जगा देता है