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वह हृदय नहीं / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
वह हृदय नहीं
जिसमें प्रियतम की चाह नहीं!
वह प्रणय नहीं
जिसमें विरहानल दाह नहीं!
वह दिवस नहीं
यदि अविरत सुरा प्रवाह नहीं!
वह वयस नहीं
जो बाला के गल बाँह नहीं!