Last modified on 16 जनवरी 2015, at 13:59

वाँ उस को हौल-ए-दिल है तो याँ मै हूँ शर्म-सार / ग़ालिब

वाँ उस को हौल-ए-दिल है तो याँ मै हूँ शर्म-सार
यानी ये मेरी आह की तासीर से न हो

अपने को देखता नहीं ज़ौक-ए-सितम को देख
आइना ता-कि दीदा-ए-नख़चीर से न हो