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वाणी में ही जहर है / त्रिलोक सिंह ठकुरेला
Kavita Kosh से
वाणी में ही जहर है, वाणी जीवनदान।
वाणी के गुण दोष का, सहज नहीं अनुमान॥
सहज नहीं अनुमान, कौन सी विपदा लाये।
जग में यश, धन, मान, मीत, सुख, राज दिलाये।
'ठकुरेला' कविराय, विविध विधि हो कल्याणी।
हो विवेक से युक्त, सरस, रसभीनी वाणी॥