भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वादा जो किया नाथ निभाने चले आओ / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वादा जो किया नाथ निभाने चले आओ।
पथ मध्य जरा दीप जलाने चले आओ।।

है टेर रही आज तुम्हें रात जो गुजरी
जो भूल गयी याद जगाने चले आओ।।

तुम साथ रहे जिंदगी मुश्किल न थी इतनी
 फिर तुम इसे आसान बनाने चले आओ।।

आँखें अगर संभाल इसे दिल में उतारें
फिर से वही अंदाज दिखाने चले आओ।।

तुम आरजू मेरी हो तुम्हीं जुस्तजू भी हो
 दिल में वही अरमान जगाने चले आओ।।

देखूँ तुम्हें फिर से ये तड़प जाग उठी है
 आँखों में भरी प्यास बुझाने चले आओ।।

आवाज सुनो आज यही मेरी मुरारी
हूँ डूब रही पार लगाने चले आओ।।