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वादियाँ मेरा दामन / मजरूह सुल्तानपुरी
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वादियां मेरा दामन, रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा, तुम कहाँ जाओगे
वादियां मेरा दामन...
जब चुराओगे तन तुम किसी बात से
शाख-ए-गुल छेड़ेगी तब मेरे हाथ से
अपने ही ज़ुल्फ को और उलझाओगे
वादियां मेरा दामन...
जबसे मिलने लगी तुमसे राहें मेरी
चाँद सूरज बनी दो निगाहें मेरी
तुम कहीं भी रहो, तुम नज़र आओगे
वादियां मेरा दामन...