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वावोड़ / चंद्रप्रकाश देवल

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आज म्हारै होठां
थनै चितारी अे मुळक!
थूं है के
कोसां अळगी
कांई ठाह किण दिस ढळगी
चालौ-कीं कोनीं

थूं कीकर है?
मन में हींगापाई आ लागी
खांगी व्हैगी व्है तो कीं कोनीं
मगसी पड़गी तो ई कीं कोनीं
पण थूं है तो अजतांई मुळक इज नहीं
रैय-रैय जीव जावै इण कांनी

अबै अै वावोड़ जाणण नै
कळपतौ मन
कांई करै उडीकण टाळ
थूं ई बता!