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वास्तविकता की माँग / विस्साव शिम्बोर्स्का

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वास्तविकता की माँग है
और हम भी वही कहते हैं :
जीवन चलता रहता है ।
कैनी और बोरोदिनो के पास भी
वह ऐसा करता है,
कोसोवो पोल्य और गैर्निका में भी ।

जेरिको के छोटे-से चौक में
है एक पेट्रोल-पम्प,
और बिला होरा के पास
हैं ताज़े पेण्ट किए हुए बेंच,
चिट्ठियाँ करती हैं यात्रा
पर्ल हार्बर और हेस्टिंग्ज़ के बीच,
कैरनिया के शेर की आँखों के सामने से
गुज़रता है एक फ़र्नीचर से लदा ट्रक,
और वेर्दां के समीप फूलते बागानों की ओर
बढ़ता है केवल एक वायुमण्डलीय मोर्चा ।

इतने आधिक्य में है सब कुछ
कि कुछ नहीं है अच्छी तरह से छिपा हुआ ।
संगीत उठता है
एक्टियम के पास बँधी नौकाओं से
और उन पर सवार जोड़े थिरकते हैं धूप में ।

इतना कुछ घटित होता रहता है
कि वह सब जगह ही घटित होता होगा ।
जहाँ पत्थरों का ऊँचा-सा ढेर है
वहाँ है एक आइसक्रीम की ठेली
बच्चों से घिरी हुई ।
जहाँ हिरोशिमा हुआ करता था
हिरोशिमा फिर-से है
रोज़मर्रा की चीज़ों का
उत्पादन करता हुआ ।

नहीं है यह भयानक दुनिया सौन्दर्य से वंचित,
नहीं है वंचित ऐसी सुबह से
जो हो हमारे जागने के लायक ।

मचीयोवित्ज़ा की रणभूमि में
घास हरी है
और घास पर है -- तुम जानते हो घास कैसी होती है --
ओस की निर्मल बून्दें ।

शायद युद्ध के मैदानों के सिवा कोई मैदान नहीं,
जो अभी भी याद किए जाते हों,
जो कब के भुलाए जा चुके हों,
भोज-वृक्ष और देवदारों के जंगल,
बर्फ़ और रेत, इन्द्रधनुष झलकाती दलदलें,
और हार की अँधेरी घाटियाँ
जहाँ आज, ज़रूरत पड़ने पर,
आप बैठ जाते हैं एक झाड़ी के पीछे ।

कौन-सी समझ बह निकलती है इस सब से ? शायद कोई नहीं ।
जो वास्तव में बहता है, वह है जल्द सूखने वाला ख़ून,
और हमेशा की तरह, कुछ नदियाँ और बादल ।

दुखदायक पहाड़ी दर्रों पर
हवा उड़ा ले जाती है हमारे सर से टोपियाँ
और हम नहीं कर पाते कुछ भी ओर --
सिवा हँसने के ।