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विचार से दरिद्र हो तनी हुई है ज़िन्दगी / कैलाश झा 'किंकर'

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विचार से दरिद्र हो तनी हुई है ज़िन्दगी।
सुधा सनेह के बिना मुई हुई है ज़िन्दगी॥

अपार दु: ख हो रहा असीम कष्ट हो रहा
ज़ुबान बदज़ुबान बतकही हुई है ज़िन्दगी।

 तमाम सिद्धियाँ मिलीं तमाम साधना फलीं
इसीलिए गुमान से भरी हुई है ज़िन्दगी।

विवाद में समय गुज़ारने की बात मत करें
अदावतों में आज भी फँसी हुई है ज़िन्दगी।

क़दम क़दम जले दिया सुकून-चैन के लिए
बहुत दिनों से रात दिन डरी हुई है ज़िन्दगी।

विसार कर तिमिर-तिमिर की साज़िशें ज़हान की
निहारती उजास को खिली हुई है ज़िन्दगी।