भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विजेता / भास्कर चौधुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वे चार मिलकर
पछीट रहे हैं लड़की को
 
विरोध में उछल-उछ्ल रही है लड़की
 
लड़की ने दाँतों से
नाखूनों से
लातों से मुंह तोड़ जवाब दिया है
 
वे चारों
जिनके सारे कपड़े
घर की औरतें ही पछीटती आई है अब तक
खड़े हैं पसीने से तरबतर
सर और मुँह ढाँपे गमछे से
 
उधर मर चुकी लड़की का
खुला है मुँह
आँखें खुली
एक मुस्कान चस्पा है
तिरछे होंठों पर
विजेता की!!