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विज्ञापन की चकाचौंध / अवनीश सिंह चौहान
Kavita Kosh से
सुनो ध्यान से
कहता कोई
विज्ञापन के पर्चों से
हम जिसका निर्माण करेंगे
तेरी वही जरूरत होगी
जस-जस सुरसा बदनु बढ़ावा
तस-तस कपि की मूरत होगी
भस उड़ती हो
आँख भरी हो
लेकिन डर मत मिर्चों से
हमें न मंहगाई की चिंता
नहीं कि तुम हो भूखे-प्यासे
तुमको मतलब है चीजों से
मतलब हमको है पैसा से
पूरी तुम बाज़ार उठा लो
उबर न पाओ खर्चों से
बेटा, बेटी औ' पत्नी की
मांगों की आपूर्ति करोगे
चकाचोंध से विज्ञापन की
तुम सब आपस में झगड़ोगे
कार पड़ोसी के घर आई
बच न सकोगे चर्चों से