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विडम्बना / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
इतना बड़ा जहान, और किसी विडंबना।
दिल रखने को जगह नही कोई।
गुलदस्तों में आकर्षण तो है
किंतु हृदय को बाँध नहीं पाते,
जाने किस विषधर ने डसा हमें
मृत्यु रेख को लाँघ नहीं पाते।
अब तो स्थितप्रज्ञ हो गए गीत
दुख या सुख की वजह नहीं कोई।
प्रश्नचिह्न संम्बंध बने सारे
प्यार नहीं रह गया बड़ा मासूम,
सत्यों ने हर जगह चुनौती दी
अंतरिक्ष तक आये सपने घूम,
गो कौंध रहा हर ओर अजनबीपन
पर घबराता बेतरह नहीं कोई!