विदाई / 2 / राजस्थानी
बन्नी को सीख (विदाई)
बनी तू सीख मान लीजे, बनी तू सीख मान लीजे।
सासरियां में जाय सबा सूं हिल मिल कर रीजे। बनी तू...
जद तू जावे सासरिया में करजे सद् व्यवहार। बनी तू...
परमेश्वर ज्यूं जाण पति ने करजे पूरी प्यार। बनी तू...
सास ससुर ने मायत गिणजे लीजे सेवा धार। बनी तू...
मीठा बोल बोलेजे बाई मत करजे तकरार। बनी तू...
पति जीमायां पछे जीमजे लीजे यो व्रत धार। बनी तू...
बेगी उठजे रोज सवेरे वोही सुलखणी नार। बनी तू...
दोराणी जेठाणी जी री लीजे बातां मान। बनी तू...
आलस तन से दूर राखजे, होवेले सम्मान। बनी तू...
अपना काम पर सेरी पर घर अठी उठी मत जाय। बनी तू...
एसो नेम धारजे बाई हरष उमंग मनलाय। बनी तू...
एसो नेम धारजे बाई हरष उमंग मनलाय। बनी तू...
चोरी चुगली पर निंदा ने गाली दीजे त्याग। बनी तू...
द्वेष भाव मत करजे किण से, धर मन में अनुराग। बनी तू...
नार पद्मी प्रीतम जी सूं बांधे गाढ़ी प्रीत। बनी तू...
जाण फायदो इण सूं उणने लीनी हिरदे धार। बनी तू...
इण विध दीनी सीख बनी ने मिल सारो परिवार। बनी तू...