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विनत तर्क / नाज़िम हिक़मत
Kavita Kosh से
देश — जिसका आकार घोड़ी के सिर-सा है,
जो घोड़ी पूरी सरपट चाल दूर एशिया से चली आती है,
भूमध्य सागर के भीतर घुस जाती है —
देश यह हमारा है।
ख़ूनी कलाइयाँ, भिंचे दाँत,
नंगे पाँव,
रेशम के क़ीमती क़ालीन-सा यह देश
नरक और स्वर्ग यह हमारा है।
वे द्वार बन्द हों जिन पर दूसरों का अधिकार है,
वे द्वार फिर कभी न खुलें।
ख़त्म करो आदमी को दास बनाने की प्रथा —
यही विनम्र तर्क हमारा है —
जीते रहें ज्यों एक वृक्ष हो, निरवलम्ब, स्वाधीन,
भ्रातृत्व का कान्तार हो —
यही मनोकामना हमारी है।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : चन्द्रबली सिंह