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विरासत / नरेश मेहन
Kavita Kosh से
हमें मिली है
विरासत मे शुद्व हवा
शुद्व पानी
खुली धरती
और साफ निर्मल नदियां।
हमने
निकट से भोगा है
प्रकृति को प्यार से
हमने छीनी है
अपने बच्चों से
उनकी जमीन
और
हम दे रहे है
अपने बच्चों को
गंदला पानी
फास्ट फूड
और उसको पालने वाली
पॉलीथीन की अमर थैलियां
तथा वाहनों का
आत्मघाती धुआं।
विरासत में
क्या हम यही देंगे
अपने भोले-भाले बच्चों को?