विलक्षण स्त्री / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / माया एंजलो
सुन्दर स्त्रियाँ जान नहीं पातीं मेरा रहस्य
मैं न तो आकर्षक, न बनी किसी फ़ैशन मॉडेल की
आकृति जैसी
किन्तु उन्हें जब मैं बताना शुरू करती हूँ
उन्हें लगता है कि बता रही मैं सब झूठ।
मैं कहती
यह है मेरी बाँहों की पहुँच में
मेरे नितम्बों के विस्तार में
मेरे एक डग में
मेरे होंठों के चाप में।
विलक्षणता लिए
मैं हूँ स्त्री।
वह विलक्षण स्त्री
हूँ मैं।
मैं जाती हूँ एक कमरे में
शान्तिपूर्वक जैसा चाहते आप
मिलती एक पुरुष से,
उसके साथी सब खड़े हो जाते या
घुटने टेक देते।
फिर वे झूमते मेरे चारों ओर
मानो मधुमक्खियों का झुण्ड।
मैं कहती
यह है मेरी आँखों का तेज
और मेरे दाँतों की चमक
मेरी बल खाती कमर
और मेरे पैरों की थिरकन ।
विलक्षणता लिए
मैं हूँ स्त्री।
वह विलक्षण स्त्री
हूँ मैं।
पुरुष स्वयं आश्चर्यचकित
कि क्या देखते हैं वे मुझमें।
बहुत कोशिश करते वे
किंतु छू नहीं पाते
वे मेरे आन्तरिक रहस्य को।
जब मैं उन्हें दिखाने की कोशिश करती
वे कहते वे नहीं देख सकते।
मैं कहती
यह है मेरी मेहराबी पीठ में
मेरी मुस्कान के उजाले में
मेरे सीने के आरोह में
मेरी शैली की शालीनता में।
विलक्षणता लिए
मैं हूँ स्त्री।
वह विलक्षण स्त्री
हूँ मैं।
अब तुम समझ गए
कि क्यों नहीं है मेरा सिर झुका।
मैं चीख़ती नहीं, न ही उछलती
न ही बात करती ज़ोरों से
जब तुम मुझे जाते देखते हो
तुम्हें होता होगा गर्व
मैं कहती
यह है मेरी एड़ियों की खट-खट में
मेरे गूँथे हुए केशों में
मेरे हाथ की हथेली में
मेरी तरफ ध्यान देने की ज़रूरत में
क्योंकि विलक्षणता लिए
मैं हूँ स्त्री।
वह विलक्षण
स्त्री हूँ मैं।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’
यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ
लीजिए, अब इस कविता को मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
MAYA ANGELOU
Phenomenal Woman
Pretty women wonder where my secret lies.
I’m not cute or built to suit a fashion model’s size
But when I start to tell them,
They think I’m telling lies.
I say,
It’s in the reach of my arms,
The span of my hips,
The stride of my step,
The curl of my lips.
I’m a woman
Phenomenally.
Phenomenal woman,
That’s me.
I walk into a room
Just as cool as you please,
And to a man,
The fellows stand or
Fall down on their knees.
Then they swarm around me,
A hive of honey bees.
I say,
It’s the fire in my eyes,
And the flash of my teeth,
The swing in my waist,
And the joy in my feet.
I’m a woman
Phenomenally.
Phenomenal woman,
That’s me.
Men themselves have wondered
What they see in me.
They try so much
But they can’t touch
My inner mystery.
When I try to show them,
They say they still can’t see.
I say,
It’s in the arch of my back,
The sun of my smile,
The ride of my breasts,
The grace of my style.
I’m a woman
Phenomenally.
Phenomenal woman,
That’s me.
Now you understand
Just why my head’s not bowed.
I don’t shout or jump about
Or have to talk real loud.
When you see me passing,
It ought to make you proud.
I say,
It’s in the click of my heels,
The bend of my hair,
the palm of my hand,
The need for my care.
’Cause I’m a woman
Phenomenally.
Phenomenal woman,
That’s me.
1978