विल्युई समुद्र / येव्गेनी येव्तुशेंको
मात्र श्लाघा है तुझे समुद्र कहना,
ओ विल्युई समुद्र,
तू जंगलों का क़ब्रिस्तान है
क़ब्रिस्तान है सुन्दरताओं का ।
समुद्र है तू जैसे ज़हर का प्याला
जैसे पानी का काढ़ा ।
तू हमारे अर्थतन्त्र की अराजकता है,
नियन्ता है हमारी नियति का ।
रबीनिया और चीड़ जैसे हरे मनके
छिपे पड़े हैं कहीं गुप्त जगहों में,
जैसे डूब कर मरे आदमी
नाव के तले में ।
पानी के नीचे यह कंजूसी कैसी !
पलटे खाता यह प्रतिरूप है हमारा,
पन्ने पड़े हैं वहाँ पानी के नीचे
डूबी हुई हमारी पुस्तकों के ।
पानी के नीचे छिपी पड़ी हैं वे चीज़ें
किसी की बेअक्ल मनमर्ज़ी के चलते,
सम्भव है वे किम्बरलाइट हों
या हों शायद हम और तुम ।
फिर भी झुकते नहीं हैं पेड़
अपने अधिकारों की रक्षा करते हुए,
जड़ें भले ही सड़ रही हों
पर ऊपर उठ रहे हैं पेड़ ।
चलती हुई नाव में
बनते जा रहे हैं छेद
जैसे प्रकृति
दिखा रही हो घूँसे
(विल्युई समुद्र : साइबेरिया स्थित जगह जहाँ क़ैदी भेजे जाते थे)