Sandeep Sethi
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हवस को है निशात-ए कार / गा़लिब का नाम बदलकर हवस को है निशात-ए-कार / गा़लिब कर दिया गया है
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Lalit Kumar
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Pratishtha
New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ग़ालिब }} हवस को है निशात-ए कार क्या क्या<br> न हो मरना तो...
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