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क्यारियों को पानी देते बाबू जी
चूल्हा चौका सभांलती सँभालती माँशर्ट का बटन टांकती टाँकती पत्नी
टीचर के लिए लाल गुलाब ले जा रही
कॉलबेल बजाता पोस्टमैन
कुछ लोग हैं हमारे इर्द-गिर्द
जो करते रहते हैं हमारे लिए
छोटे-छोटे काम
अपने छोटे-छोटे कामों से
वे लगे हैं हमारे जीवन को सुंदर बनाने में
हालाँकि हम भूल चुके हैं
आभार प्रकट करना
न जाने हम क्यों ले लेते हैं उन्हें इतनी सहज़ता सहजता से?</poem>