भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुण कुमार नागपाल |संग्रह=विश्वास का रबाब / अरुण…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अरुण कुमार नागपाल
|संग्रह=विश्वास का रबाब / अरुण कुमार नागपाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
धूप की आशा में
कुर्सी पर वैठ
रोज़ मैं सूरज़ की प्रतीक्षा करता हूँ
’गुड मार्निंग ’कहने के लिए
सर्द ऋतु में
सूरज़ मेरी बूढ़ी हडिड्यों को गर्माता है
किसी रोज़
सूरज़ तो निकलेगा
पर मैं उसे नहीं मिलूंगा शायद
बूढ़े लोगों का क्या भरोसा
सोच कर
मेरी आँखें डबडबा-सी जाती हैं।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अरुण कुमार नागपाल
|संग्रह=विश्वास का रबाब / अरुण कुमार नागपाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
धूप की आशा में
कुर्सी पर वैठ
रोज़ मैं सूरज़ की प्रतीक्षा करता हूँ
’गुड मार्निंग ’कहने के लिए
सर्द ऋतु में
सूरज़ मेरी बूढ़ी हडिड्यों को गर्माता है
किसी रोज़
सूरज़ तो निकलेगा
पर मैं उसे नहीं मिलूंगा शायद
बूढ़े लोगों का क्या भरोसा
सोच कर
मेरी आँखें डबडबा-सी जाती हैं।
</poem>