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Kavita Kosh से
पुरुष हो सकता है अच्छा पिता सिर्फ़ तब
माँ जैसा कुछ होता है उसके भीतर जब
औरत ल्ग लोग कोमल मन की हैं दया है उनकी आदत
मुझे बचा लेंगी वे उस सज़ा से, जो देगी मुझे
पुरुषों की दुष्ट अदालत