Changes

{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=प्रदीप मिश्र|संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>'''एक जनवरी की आधी रात को'''  
एक ने
जूठन फेंकने से पहले
तीसरे ने
नव वर्ष की पार्टी की तैयारी करते समय
कुछ मोमबत्तियाँ और पटाखेपटाख़े
अपने जेब के हवाले कर लिए थे
तीनों एक जनवरी की आधी रात को
पटाखे पटाख़े इस तरह फोड़ेंफोड़े
जैसे लोगों ने कल जो मनाया
वह झूठ था
पीढ़ियों से वे सारे त्यौहार
इसी तरह मनाते आ रहे हैं
कलैण्डर और पंचांग की तारीखों तारीख़ों कोचुनौती देते हुए।हुए ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,279
edits