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कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले
जब कोई ओट भी न रहे और हवा चले
कितना है दम चराग़ में, कुछ तो पता चले
तुझसे मिला था जो कभी, तुझको ही सौंप दूँ
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