Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= श्रद्धा जैन }} {{KKCatGhazal}} <poem> हश्र औरों का समझ कर जो सं…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= श्रद्धा जैन
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हश्र औरों का समझ कर जो संभल जाते हैं
वो ही तूफानों से बचते हैं, निकल जाते हैं

मैं जो हंसती हूँ तो ये सोचने लगते हैं सभी
ख्वाब किस-किस के हक़ीक़त में बदल जाते हैं

जिंदगी, मौत, जुदाई और मिलन एक जगह
एक ही रात में कितने दिए जल जाते हैं

आदत अब हो गई तन्हाई में जीने की मुझे
उनके आने की खबर से भी दहल जाते हैं

हमको ज़ख्मों की नुमाइश का कोई शौक नहीं
मेरी गजलों में मगर आप ही ढल जाते हैं
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits