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और हमारी नींद में शोर .....
ज़िन्दा हथेलियाँ होती थीं
ज़िन्दा ही त्वचाएं <br />
फिर पता नहीं क्या हुआ था
अचानक हमने अपना वह स्पर्श खो दिया
क्या हुआ था ?
[[Media:[[''== केलंग ,27.08.2010 == '']]]]
</poem>
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