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|रचनाकार=कुमार अनिल
|संग्रह=और कब तक चुप रहें / कुमार अनिल
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<Poem>
<poem>जाने किसकी साजिश है ये जाने किसने फेंके हैं
मेरे शहर के दामन पर फिर ताजा खून के छींटें हैं