Changes

<poem>
या मुझे अफसरे-शाहाना <ref>उच्चाधिकारी</ref> बनाया होताया मुझे ताज-गदायाना <ref>सन्तों जैसा</ref> बनाया होता
खाकसारी <ref>नम्रता</ref> के लिए गरचे बनाया था मुझेकाश, खाके-दरे-जनाना <ref>प्रिय के द्वार की धुल</ref> बनाया होता
नशा-ए-इश्क का गर जर्फ दिया था मुझको
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits