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आपने खुद का ही दिवाना बनाया होता
रोज़ मामूर-ए-दुनिया<ref>सम्पुर्ण संसार</ref> में खराबी है ‘जफर’
ऐसी बस्ती को तो वीराना बनाया होता
</poem>
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