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नया पृष्ठ: <poem>हम हैं हिन्दू मुसलमान बस अपनी इतनी है पहचान बस नफरतें, दंगे, कर्…
<poem>हम हैं हिन्दू मुसलमान बस
अपनी इतनी है पहचान बस

नफरतें, दंगे, कर्फ्यू, कहर
बस करो अब तो भगवान बस

दर्द, टूटन, घुटन, तिशनगी
तेरे इतने ही अहसान बस

देवता बन के मैं क्या करूं
मुझको रहने दो इन्सान बस

अब चलूँ, तेरी दुनिया में था
चार दिन का मैं मेहमान बस

माफ़ कर अब मुझे जिन्दगी
छोड़ मेरा गरेबान बस </poem>
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