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नया पृष्ठ: <poem> दिल को यूँ मायूस नहीं कर, रहने दे अभी आँख में ख्वाब के मंजर रहने …
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दिल को यूँ मायूस नहीं कर, रहने दे
अभी आँख में ख्वाब के मंजर रहने दे

इस दुनिया को स्वर्ग बनाना मुश्किल है
इस दुनिया को नर्क से बेहतर रहने दे

शीशा, दरिया, फूल बनाकर देख चुका
अब थोड़े दिन दिल को पत्थर रहने दे

फिर ये दुनिया इतनी बुरी नहीं होगी
थोड़ा बचपन अपने अन्दर रहने दे

सर ढकने का चलन नहीं है अब माना
फिर भी सर पे लाज की चादर रहने दे</poem>
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