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<poem>नए वर्ष की नयी सुबह का स्वागत कर लें
नए सोच से, नई तरह का स्वागत कर लें
दिल के जिस कोने में कोई दर्द छिपा हो,
आओ मिल कर उसी जगह का स्वागत कर लें
बांधे है जो अनदेखे बंधन में हमको
स्नेह डोर की उसी गिरह का स्वागत कर लें
बिना वज़ह मिलता है कोई कहाँ किसी से
चलो आज तो किसी वज़ह का स्वागत कर लें</poem>
नए सोच से, नई तरह का स्वागत कर लें
दिल के जिस कोने में कोई दर्द छिपा हो,
आओ मिल कर उसी जगह का स्वागत कर लें
बांधे है जो अनदेखे बंधन में हमको
स्नेह डोर की उसी गिरह का स्वागत कर लें
बिना वज़ह मिलता है कोई कहाँ किसी से
चलो आज तो किसी वज़ह का स्वागत कर लें</poem>