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संध्या आज प्रसन्न है / चंद्रसेन विराट
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19:06, 2 जनवरी 2011
पश्चिम के गालों पर लाली दौड़ गई
चित्रकार सूरज अब शयनागार चला
जाते जाते
श्रंगों
शृंगों
को दे दिए मुकुट
चंचल लहरों के मुख पर सिंदूर मला
अनिल जनविजय
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