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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कुमार अनिल|संग्रह=}}{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>मृत्यु तू आना
तेरा स्वागत करूँगा
किन्तु मत आना
कि जैसे कोई बिल्ली
एक कबूतर की तरफतरफ़
चुपचाप आती
फिर झपट्टा मारती है यकबयक ही
नोच लेती पंख
पीती रक्त उसका
 
मृत्यु तुझको
आना ही अगर है पास मेरे
जैसे एक ममतामयी माँ
अपने किसी
बीमार सुत के पास आयेआए
और अपनी गोद में
सिर रख के उसका
फिर हथेली में
जगत का प्यार भर कर
धीरे से सहलाये सहलाए उसका तप्त मस्तक
थपथपा कर पीर
कर दे शांत उसकी
जानता उसको नहीं है
और जब बच्चा वह
खुश ख़ुश होता किलकता
सामने आता है उसके
क्या करे वह ?
मृत्यु
तू भी इस तरह आये आए अगर तो
यह वचन है
तुझको कुछ भी
यत्न न करना पड़ेगा
मै तुझे
खुद ख़ुद खींच लूँगा
पास अपने
और
ऊँगली उँगली थाम
तेरी चल पडूँगा
तू जहाँ
मृत्यु !
स्वागत है तेरा
जब चाहे आना</poem>
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