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{{KKRachna
|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल
|संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह / केदारनाथ अग्रवाल; फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1 / केदारनाथ अग्रवाल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
मुग्ध कमल की तरह
 
:::पाँखुरी-पलकें खोले,
 
कन्धों पर अलियों की व्याकुल
 
:::::अलकें तोले,
 
तरल ताल से
 
दिवस शरद के पास बुलाते
 
::मेरे सपने में रस पीने की
 
::::प्यास जगाते !
</poem>
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