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Kavita Kosh से
फिर अपनी बाँकी चितवन से
मुझे लुभाए यह लड़की
पहले की तरह
पहुँच अचानक उस ने मेरे घर पर
लाड़ भरे स्वर में कहा ठहर कर
''अरे. . . सब-कुछ पहले जैसा है
सब वैसा का वैसा है. . .
पहले की तरह. . .''
फिर शांत नज़र से उस ने मुझे घूरा
लेकिन कहीं कुछ रह गया अधूरा
उदास नज़र से मैं ने उसे ताका
फिर उस की आँखों में झाँका
मुस्काई वह, फिर चहकी चिड़िया-सी
हँसी ज़ोर से किसी बहकी गुड़िया-सी
चूमा उस ने मुझे, फिर सिर को दिया खम
बरसों के बाद इस तरह मिले हम
पहले की तरह