भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
बरसों के बाद इस तरह मिले हम
पहले की तरह
 
प्रतीक्षा
 
अभी महीना गुज़रा है आधा
शेष और हैं पंद्रह दिन
समय यह सरके कच्छप-गति से
नंदिनी तेरे बिन
 
जीवन खाली है, मन खाली
स्मृति की जकड़न
नीली पड़ गई देह विरह से
घेर रही ठिठुरन
 
मर जाएगा कवि यह तेरा
बिखर जाएगा फूल
अरी, नंदिनी, जब आएगी तू
बस, शेष बचेगी धूल
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits