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अहा! आपके दाँत / हेमन्त शेष

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|संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष
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अहा! आपके दाँत
 
जो हँसते वक़्त खुलते हैं
 
दुनिया के प्रति आपका दृष्टिकोण बतलाते हैं
 
कि आप हँसना जानते हैं
 
किन्तु यही बात, बस
 
यह तो ज़रा भी नहीं
 
कि झेंप में उनकी क्या भूमिका रहती है
 
जब आप हँसते नहीं
 
निपोर कर खीसें
 
महज झेंपते हैं
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