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|संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष
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अरे अरे घंटी
 
तेरी आवाज़
 
गुंजायमान रात में
 
भक्त घंटी बजाता है
 
हरे हरे
 
यह
 
नींद
 
भी
 
कोई
 
चीज़
 
है
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