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अरे अरे घंटी तेरी आवाज़ / हेमन्त शेष
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06:06, 17 जनवरी 2011
|संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष
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अरे अरे घंटी
तेरी आवाज़
गुंजायमान रात में
भक्त घंटी बजाता है
हरे हरे
यह
नींद
भी
कोई
चीज़
है
</poem>
अनिल जनविजय
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